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Wednesday, April 2, 2025
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ओमिक्रॉन की दहशत में डॉक्टर ने कर डाली अपने ही परिवार की हत्या, लिखा- अब लाशें नहीं गिननी, कोविड ओमिक्रॉन अब सभी को मार डालेगा

नई दिल्ली: ओमिक्रॉन की दहशत तो दुनिया भर के लोगों में है लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक डॉक्टर ने अपने पूरे परिवार को बेरहमी से मार डाला। यह घटना शुक्रवार शाम की। डॉक्टर का नाम सुशील कुमार है। पुलिस के मुताबिक, घर में पत्नी, बेटे और बेटी की लाश मिली। डॉक्टर ने बॉडी के पास एक नोट भी छोड़ा। इसमें लिखा कि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने के बाद अब और लाशें नहीं गिननी हैं। ये सबको मार डालेगा। डॉक्टर ने ये भी लिखा कि उसे कोविड रिलेटेड डिप्रेशन है।

पुलिस डॉ. सुशील को अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई। वह वारदात को अंजाम देने के बाद भाग गए। घटना स्थल से मिले नोट की वजह से कहा जा रहा है कि उसने यह कदम कोरोना के डिप्रेशन और ओमिक्रॉन की दहशत की वजह से उठाया है। हालांकि, उसके जुड़वा भाई सुनील के मुताबिक, डॉ. सुशील कुछ समय से डिप्रेशन में थे।

बताया जा रहा है, डॉ. सुशील कानपुर में इंद्रानगर के डिविनिटी अपार्टमेंट में रहते थे। पत्नी चंद्रप्रभा की उम्र 48 साल थी। बेटा शिखर (18 साल) और खुशी (16 साल की थी)। पुलिस ड्रिप्रेशन के अलावा हत्या के दूसरे एंगल पर भी जांच कर रही है।

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डॉ. सुशील कुमार ने शुक्रवार शाम 5.32 बजे अपने भाई सुनील को मैसेज किया। इसमें लिखा कि पुलिस को इंफार्म करो, मैंने डिप्रेशन में हत्या कर दी है। मैसेज पढ़ने के बाद सुनील उनके घर पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजा तुड़वाया गया। अंदर पहुंचे तो उन्हें चंद्रप्रभा, शिखर और खुशी की लाशें मिलीं। पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर ने पहले पत्नी के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया। डॉक्टर सुशील और सुनील दोनों जुड़वा भाई हैं।

डॉ. ने पत्र में लिखा , ‘अब और कोविड नहीं, ये कोविड ओमिक्रॉन अब सभी को मार डालेगा। अब और लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं, जहां से निकलना असंभव हैं। मेरा कोई भविष्य नहीं है। मैं अपने होश-ओ-हवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं। मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़कर जा रहा हूं। सारे कष्टों को एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है। जब मेरी आंख ही नहीं रहेगी, तो मैं क्या करूंगा’। अलविदा…’

सुशील कुमार रामा मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (HOD) हैं। वे कानपुर मेडिकल कॉलेज के छात्र रहे हैं। 15 साल पहले उन्होंने GSVM से MBBS किया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डीएन त्रिपाठी ने बताया 2 दिन पहले ही सुशील से उनकी मुलाकात हुई थी। बातचीत के दौरान ऐसा नहीं लगा था कि वह मानसिक तनाव में हैं।

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