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“विनायक” से “वीर” सावरकर बनने तक का सफर!

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विनायक दामोदर सावरकर, मराठी ब्रह्माण परिवार में आज ही के दिन जन्मे! वैसे इन्हे हम सब वीर सावरकर के नाम से जानते हैं! आज जन्मदिन है तो हमने सोचा की आपको उनकी सख्शियत  से थोड़ा रूबरू करा दिया जाये! लेकिन हमारे सामने दुविधा ये थी कि आपको उनके कौन से रुप से रूबरू कराया जाये? राजनीतीक, इतिहासकार, लेखक, कवि या फिर समाज सुधारक? खैर हमने मिलावट करना उचित समझा और इसी धारणा के साथ आगे बढ़े!

कैसे हुई शुरुआत?

स्कूल के बाद जैसे ही कालेज में दाखिला लिया तो समान विचारधारा वाले साथियों के साथ मिलकर आजाद भारत का सपना बुना! और वहीं से “विनायक” से “स्वतन्त्रवीर” नाम पड़ गया जो बाद में और छोटा करके सिर्फ “वीर” हो गया !

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धर्म के समर्थक, जातिवाद के खिलाफ

आजादी के साथ साथ वीर सावरकर, कट्टर हिन्दुत्व के प्रथम ध्वजवाहक थे! किंतु वो जातिवाद के सख्त विरोधी थे! डॉ अम्बेडकर से वैचारिक मतभेद होने के बाद भी उन्होने एक बार जातिगत अंतर को खत्म करने हेतु एक बार अम्बेडकर को पत्र लिखा था!

काला पानी की सजा

मारले – मिंटो सुधारों के विरोध की वजह से सावरकर को 1911 में 50 साल की काला पानी (सेलुलर जेल अंडमान) की सजा सुनाई गयी! किंतु 1924 में माफीनामा लिखने तथा कभी सक्रिय राजनीती में ना आने की शर्त पे रिहा कर दिया गया!

सावरकर से जुड़े  विवाद 

1 – सावरकर द्वारा लिखे माफीनामे को लेकर आज भी पक्ष – विपक्ष के राजनीतिक दलों में अलग – अलग मत है!

2 – सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या का सह-आरोपी बनाया गया था लेकिन अपर्याप्त सबूतों की वजह से उन्हे बरी कर दिया गया!

1966 में मौत 

आजाद भारत के सपने के पूरा होने के बाद 1 फरबरी को उन्होने इच्छामृत्यु के लिये समाधी ले ली, जिसके उपरान्त 26 फरबरी 1966 को सावरकर दुनिया छोड़ गये!

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