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महात्मा गांधी के इन 5 आंदोलनों ने दिलाई भारत को आजादी

भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी, 1948 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पंचतत्व में विलीन हो गए थे। इस दिन नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि के दिन देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी को कोई महात्मा तो कोई बापू के नाम से बुलाया करता था। उनको देश के राष्ट्रपिता होने की उपाधि सुभाष चन्द्र बोस ने दी थी। उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने की सीख दी थी। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद्र गांधी था। महात्मा गांधी का विवाह महज 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था। उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत काम किए थे। आजादी के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया था। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर यहां जानें उनके द्वारा किए गए उन 5 आंदोलनों के बारे में जिसकी वजह से भारत को आजादी मिली।

चंपारण सत्याग्रह :

1917 में बिहार के चंपारण पहुंचकर खाद्यान्न के बजाय नील एवं अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए बाध्य किए जाने वाले किसानों के समर्थन में सत्याग्रह किया।

असहयोग आंदोलन :

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1 अगस्त 1920 को शुरू हुए इस आंदोलन के तहत लोगों से अपील की कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग जताने को स्कूल, कॉलेज, न्यायालय न जाएं और न ही कर चुकाएं।

नमक सत्याग्रह :

इस आंदोलन को दांडी सत्याग्रह भी कहा जाता है। नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एक अधिकारी के खिलाफ 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला।

दलित आंदोलन :

1932 में गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और इसके बाद 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। ‘हरिजन’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन करते हुए हरिजन आंदोलन में मदद के लिए 21 दिन का उपवास किया।

भारत छोड़ो आंदोलन :

8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बंबई सत्र में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया। हालांकि, इसके तुरंत बाद गिरफ्तार हुए पर युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के जरिए आंदोलन चलाते रहे।

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