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गुरूवार, मई 2, 2024
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3 बच्चे पैदा करने वालों को मिलेंगी कई तरह की छूट, जाने आखिर क्यों दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन देश को उठाना पड़ा ये कदम?

नई दिल्ली: दूनिया की सबसे ज्यादा आबादी वालें चीन देश की कम्युनिस्ट सरकार ने चाइल्ड पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है। चीन ने अब थ्री-चाइल्ड पॉलिसी को मंजूरी दी है।

यानी की अब चीन के लोग अब तीन बच्चे तक पैदा कर सकते हैं। चीनी सरकार ने दावा करते हुए कहा है कि वो तीन बच्चे पैदा करने वालों को विशेष आर्थिक प्रोत्साहन भी देगी।

आपको बता दें, चीन में लंबे समय से चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव की मांग उठ रही थी। अपनी सख्त वन-चाइल्ड पॉलिसी की वजह से दुनियाभर में चीन की आलोचना भी होती रही है। इसी वजह से चीन ने 2016 में वन-चाइल्ड की जगह टू-चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी। अब इसमें फिर से बदलाव किया गया है।

20 अगस्त चीन की सरकार ने थ्री-चाइल्ड पॉलिसी को मंजूरी दी है। यानी, अब चीन के लोग तीन बच्चे पैदा कर सकेंगे। इसी साल मई में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने दो बच्चों की नीति में छूट देते हुए सभी पेरेंट्स को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी। 20 अगस्त को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी ने इस नीति को पास कर दिया है।

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साथ ही पेरेंट्स ज्यादा बच्चे पैदा करें, इसलिए सरकार ने लोगों को आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया है। इस नए बिल में सरकार फाइनेंस, टैक्स, इंश्योरेंस, एजुकेशन, हाउसिंग और नौकरी जैसे कई क्षेत्रों में पेरेंट्स की मदद भी करेगी ताकि पेरेंट्स पर बच्चों की परवरिश का ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े।

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क्यों लेना पड़ा चीन को थ्री-चाइल्ड पॉलिसी का फैसला?

वन चाइल्ड पॉलिसी लागू करने के बाद चीन में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 26 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। अगले 10 साल में चीन की करीब एक चौथाई आबादी 65 साल से ज्यादा उम्र की होगी। देश में बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इससे चीन के पास काम करने वाले युवाओं की कमी हो गई है। इस संकट से निपटने के लिए चीन को रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाना पड़ा है, ताकि काम करने वाले लोगों की कमी न हो।

इसी तरह चीन में काम करने वाली युवा आबादी लगातार कम हो रही है। 2010 तक चीन में 15-59 साल तक के उम्र की आबादी 70% से ज्यादा थी, जो 2020 में 63.4% ही रह गई है।

घटती जन्म दर

दुनिया के बड़े देशों में चीन की जन्म दर सबसे कम है और ये आंकड़ा लगातार कम हो रहा है। 2016 में चीन में 1.8 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे। 2019 में ये आंकड़ा 1.4 करोड़ पर आ गया। वहीं, 2020 में ये आंकड़ा कम होकर 1.2 करोड़ पर आ गया है, जो 1960 के बाद सबसे कम है। 1960 में भयंकर सूखे की वजह से चीन में जन्म दर घट गई थी।

जनसंख्या का घटनाक्रम

वर्ल्ड बैंक का मानना है कि 2030-40 तक चीन की जनसंख्या पीक पर होगी, लेकिन उसके बाद चीन की जनसंख्या में गिरावट आने लगेगी। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन में आने वाले एक दशक में ही जनसंख्या में गिरावट आने लगेगी। 2100 तक चीन की आबादी करीब 1 अरब ही रह जाएगी, जो अभी 1.44 अरब है। 11 मई 2021 को जारी चीन की जनसंख्या के आंकड़ों में 2011 से 2020 के बीच चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 5.38% रही। 2010 में यह 5.84% थी।

तेजी से बढ़ता लिंगानुपात

चीन ने जब सख्त वन-चाइल्ड पॉलिसी लागू की तो लोगों को डर लगने लगा कि उनका एक बच्चा भी कहीं लड़की न हो जाए। इस वजह से देश में कन्या भ्रूण हत्या में भारी इजाफा हुआ। लोग गैरकानूनी तरीके से गर्भपात कराने लगे। नतीजा ये हुआ कि देश में लिंगानुपात बढ़ने लगा।

चीन ने क्यों लागू की थी वन चाइल्ड पॉलिसी?

चीन ने 1979 में वन चाइल्ड पॉलिसी इंट्रोड्यूस की थी। 1980 से इसे लागू कर दिया गया। तब चीन की आबादी 98.61 करोड़ थी और लगातार बढ़ रही थी। चीन को डर था कि बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा बन सकती है। इस वजह से ये पॉलिसी लागू की गई थी। इस दौरान लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक भी किया गया और सख्ती भी की गई। 1 से ज्यादा बच्चे होने पर लोगों पर फाइन लगाया गया, नौकरी से निकाला गया, महिलाओं को जबरन गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया और पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई।

2016 तक चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू रही। माना जाता है कि इस दौरान चीन ने 40 करोड़ बच्चों को जन्म से रोका। इसका नुकसान ये हुआ कि देश में वृद्ध लोगों की आबादी बढ़ती रही और युवा आबादी कम हो गई। इस वजह से 2016 में थोड़ी छूट देते हुए टू-चाइल्ड पॉलिसी लागू की गई।

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