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शुक्रवार, अक्टूबर 11, 2024
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यूपी विधानसभा चुनाव: जानिए मुरादाबाद नगर सीट का राजनीतिक इतिहास जिसने यूपी में हुए सभी 17 विधानसभा चुनाव में भाग लिया

यूपी में करीब 404 विधानसभा सीटें है, लेकिन यूपी में एक ऐसी भी विधानसभा है, जहां वैश्य मतदाता तय करते हैं किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार। हम बात कर रहे है मुरादाबाद नगर विधानसभा सीट की जो कि 1951 से अस्तित्व में है और यहां की खास बात यह है कि इस सीट के मतदाआतों को यूपी में हुए सभी 17 विधानसभा चुनावों में वोट डालने का अवसर प्राप्त हुआ है।
अगर यहां के रजिस्टर्ड वोटर्स की बात की जाए तो चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार मुरादाबाद नगर विधानसभा में कुल 3,88,966 रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या है। इन वोटर्स में पुरुषों की संख्या 2,13,449 है और महिला वोटर्स की संख्या 1,75,487 है।
यूपी का एक मंडल होंने के कारण मुरादाबाद के पास ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ​शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन इत्यादि सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
मुरादाबाद के पास पीतल उद्योग भी है जिसके कारण यहां रोजगार के भी पर्याप्त साधन उपलब्ध है। यहां अधिकतर मतदाता स्वरोजगार यानी व्यापर और धंधा करते हैं। मुरादाबाद एक ऐसी विधानसभा है, जहां शुरुआत से ही वैश्य समाज का दबदबा रहा है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर हुए सभी 17 चुनावों में 10 बार वैश्य समाज का उम्मीदवार विधायक बना है।
बता दें कि, इन 17 चुनावों में मुरादाबाद सीट से 4 बार कांग्रेस, 2 बार निर्दलीय, 1 बार आरपीआई, 1 बार भारतीय जनसंघ, 1 बार जनता पार्टी, 2 बार जनता दल, 4 बार भाजपा और 2 बार समाजवादी पार्टी के विधायक रहे है।

मुरादाबाद सीट से किसने कब दर्ज की जीत ?

मुरादाबाद सीट से पहली बार साल 1951 में कांग्रेस के केदारनाथ ने जीत दर्ज की थी, इनके बाद 1957 में निर्दलीय हलीमुद्दीन जीते और फिर हलीमुद्दीन ने साल 1962 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से टिकट लेकर फिर से जीत दर्ज की, इनके बाद साल 1967 में ओंकार सरन ने कांग्रेस से जीत दर्ज की, फिर साल 1969 में फिर से हलीमुद्दीन ने निर्दलीय जीत दर्ज की, इनके बाद साल 1974 और 1977 में दिनेश चन्द्र रस्तोगी यहां से 2 बार विधायक बने, दिनेश चन्द्र रस्तोगी ने पहली बार भारतीय जनसंघ से और फिर दूसरी बार जनता पार्टी से चुनाव लड़कर अपनी जीत दर्ज की।
इनके बाद साल 1980 और 1985 में इस सीट पर कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज की। 1980 में इस सीट से हाफिज मोहम्मद सिद्दीकी जीते फिर 1985 में पुष्पा सिंघल ने इस सीट को अपने कब्जे में किया। कांग्रेस के बाद इस सीट पर साल 1989 और 1991 में जनता दल ने अपने हिस्से किया।
साल 1989 में जनता दल के शमीम अहमद और साल 1991 में जाहिद हुसैन जनता दल से विधायक चुने गये। इनके बाद फिर साल 1993 से लेकर 2007 तक हुए 4 विधानसभा चुनावों में इस सीट को संदीप अग्रवाल ने अपने कब्जे में किया, उन्होंने इस सीट से 3 बार भाजपा के खेमे से जीत दर्ज की तो वहीं साल 2007 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर अपनी जीत कायम रखी।
इसके बाद 2012 आते-आते संदीप अग्रवाल बीमारी से ग्रस्त हो गए और उनके स्थान पर समाजवादी पार्टी से युसूफ अंसारी ने चुनाव लड़ा और भाजपा के रितेश गुप्ता के समक्ष जीत दर्ज की। इनके बाद साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही, पिछली बार समाजवादी पार्टी से जीते युसूफ अंसारी के खिलाफ रितेश गुप्ता ने 3193 मतों की बढ़त के साथ अपनी जीत दर्ज की।

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