30.6 C
Delhi
रविवार, मई 5, 2024
Recommended By- BEdigitech

आखिर क्यों भारत की इन जगह पर नहीं मनाई जाती होली, क्या है इसके पीछे की वजह, जाने बस एक क्लिक में ?

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है और बात अगर दीपावली या होली की हो तो सुनने मात्र से ही मन में खुशी की भावनाएं उत्पन्न होने लगती है। भारत में मनाया जाने वाला होली का त्योहार ऐसा है जिस दिन हर कोई अपनी कड़वाहट को भूलाकर मौज-मस्ती में कूद जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है कि भारत में कई ऐसी भी जगह मौजूद है जहां पर सालों से होली नहीं खेली गई या फिर वहां होली का रिवाज ही नहीं है। जी हां हम भारत की ही बात कर रहे है और इससे ज्यादा चौकाने वाली बात तो होली ना मनाने के पीछे की वजह है।

आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ जगह की जानकारी लेकर आए है जहां पर किसी को भी होली खेलेने की इजाजत नहीं है। तो आइए जानते है उन जगह के बारे में।

झारखंड का दुर्गापुर गांव
झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक में स्थित दुर्गापुर गांव में होली नहीं मनाई जाती। यहां के लोगों का मानना है कि यहां के एक राजा के बेटे की होली के दिन मौत हो गई थीं। जिसकी वजह से यहां पर होली नहीं खेली जाती।

Advertisement

इसके अलावा लोगों का यह भी मानना है कि उनके गांव के राजा दुर्गादेव का होली के दिन गांव के पास के इलाके रामगढ़ के राजा के साथ युद्ध हुआ और इस युद्ध में राजा दुर्गादेव की मौत हो गई। इसके बाद इस खबर को जानते ही दुर्गादेव की रानी ने भी आत्महत्या कर ली।

लोगों का कहना है कि राजा ने मरने से पहले होली ना मनाने का आदेश दिया था। जिसके बाद किसी ने भी यहां पर होली नहीं मनाई। इतना ही नहीं जब भी इस गांव के लोगों ने होली खेलनी चाही तो या तो उन्हें सूखे का सामना करना पड़ा या फिर महामारी का।

उत्तराखंड का क्‍वीली, कुरझण और जौंदली गांव
उत्‍तराखंड के क्‍वीली, कुरझण और जौंदली गांव में करीब 150 सालों से होली नहीं खेली गई। यहां के लोगों का कहना है कि उनके गांवों की इष्‍टदेवी मां त्रिपुर सुंदरी देवी हैं, जिन्हें हुड़दंग नहीं पसंद। इतना ही नहीं यहां पर लोगों का यह भी कहना है कि यहां पर डेढ़ सौ साल पहले लोगों ने होली खेलनी चाही थी लेकिन फिर तीनों गांवों में हैजा फैल गया जिसके बाद सभी ने होली खेलने के लिए कान पकड़ लिए।

मध्यप्रदेश का डहुआ गांव
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में करीब 125 साल से होली नहीं खेली गई। इसके पीछे लोगों का कहना है कि आज से 125 साल पहले होली के दिन उनके गांव के प्रधान तालाब में डूब गए थे और उनकी मौत हो गई थी।

इसके बाद सभी गांव के लोग इस मौत से बेहद दुखी हो गए और उन्होंने होली ना मनाए जाने को अपनी धार्मिक मान्यता बना ली।

हरियाणा का गुहल्ला चीका गांव
हरियाणा के कैथल में स्थित गुहल्ला चीका गांव में करीब 150 साल पहले होली मनाए जाने का रिवाज खत्म कर दिया गया था। इसके पीछे वजह बताई जाती है कि गांव में एक ठिगने कद के बाबा रहा करते थे। होली के दिन कुछ लोगों ने उनका मजाक बनाया।

जिसके बाद बाबा ने क्रोध में आकर होलिका दहन के वक्त आग में छलांग लगा दी और गांव के लोगों को यह श्राप दिया कि जो भी आज के बाद यहां होली मनाएगा उसके परिवार का नाश हो जाएगा। जिसके बाद सभी के मन में डर फैल गया और किसी ने भी उस दिन के बाद होली नहीं मनाई।

Related Articles

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Latest Articles