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पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित ज़ोहरा सहगल के बारे में जानें रोचक बातें।

पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण एक्टर-डांसर ज़ोहरा सहगल 102 साल की उम्र में 2014 में दुनिया छोड़ गई थीं। वो टीवी इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा सालों तक काम करने वाली एक मात्र एक्ट्रेस थीं। जोहरा सहगल भारतीय सिनेमा जगत में एक ऐसा नाम है, जिसे शायद ही कोई नहीं जानता होगा। जोहरा सहगल को भारत की पहली महिला अभिनेत्री माना जाता है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली। दरअसल, 29 सितंबर 1946 को जोहरा सहगल की फिल्म ‘नीचा नगर’ कान्स फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया था।। इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल का सबसे बड़ा अवॉर्ड Palme d’Or जीता था।

जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम साहिबजादी जोहरा मुमताजुल्ला खान बेगम था। उन्होंने अपना बचपन उत्तराखंड के चकराता में गुजारा था। जोहरा सहगल की मां का निधन बचपन में ही हो गया था। उनकी मां चाहती थीं कि जोहरा लाहौर जाकर पढ़ें तो अपनी बहन के साथ वो अपनी पढ़ाई के लिए लाहौर के क्वीन मेरी कॉलेज में चली गईं। उन्हें डांस का शौक था, इसलिए उन्होंने 1930 में जर्मनी के ड्रेसडेन में मैरी विगमैन के बैले स्कूल में दाखिला लिया था। ऐसा करने वाली जोहरा सहगल पहली भारतीय बनीं। यहां उन्होंने तीन सालों तक मॉडर्न डांस की पढ़ाई की। वहां उनकी मुलाकात भारत के मशहूर नर्तक उदय शंकर से हुई। उनकी नृत्य में दिलचस्पी देख उदय शंकर ने उन्हें कहा कि भारत जाने के बाद वो उनके लिए काम देखेंगे।

डांस की पढ़ाई पूरी करने के बाद जोहरा सहगल ने 1935 में उदय शंकर के साथ एक डांसर के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। 1935 से 1940 के बीच जोहरा ने पूरे जापान, मिस्र, यूरोप और अमेरिका में डांस प्रदर्शन किया। भारत आने के बाद उन्होंने उदय शंकर के एकेडमी में डांस सिखाना शुरू कर दिया। वहां वो कामेश्वर सहगल से मिलीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। बाद में जोहरा ने कामेश्वर सहगल से शादी की और उनके साथ लाहौर चली गई। लाहौर जाकर उन्होंने जोरेश नृत्य संस्थान खोला। उस दौर में उन्होंने डांस को भारत में एक नई पहचान दी।

भारत के बंटवारे के बाद जोहरा मुंबई शिफ्ट हो गईं, वहां उन्होंने अपनी बहन के साथ पृथ्वी थिएटर में काम करना शुरू किया। वहां उन्हें 400 रुपये मासिक वेतन मिलता था। इसी समय, जोहरा सहगल थिएटर ग्रुप इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन में भी शामिल हो गईं थीं। उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया। उन्होंने ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म, ‘धरती के लाल’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। उसके बाद उन्हें चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ में काम करने का मौका मिला। उनकी फिल्मों का सिलसिला रणबीर कपूर की पहली फिल्म ‘सांवरिया’ तक चलता रहा।

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जोहरा सहगल ने कई हिंदी फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी भी की, जिनमें गुरु दत्त की बाजी और राज कपूर की फिल्म आवारा में ड्रीम सीक्वेंस शामिल हैं। उन्होंने उन्होंने डॉक्टर हू और 1984 की मिनिसरीज द ज्वेल इन द क्राउन जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ में भी अहम भूमिका निभाई। फिल्मों के अलावा उन्होंने कविता भी कहना शुरू कियी। उनका पहला प्रदर्शन 1983 में हुआ था। उन्होंने ‘एन इवनिंग विद जोहरा’ के लिए पाकिस्तान में भी शो किए।

जोहरा को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान जैसे देश के कई बड़े अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 2014 में 10 जुलाई उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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