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गुरूवार, अप्रैल 25, 2024
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नीलम रत्न धारण करने के होते हैं अटूट फायदे, जानें इसकी असली पहचान व इसके पहनने का समय!

नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्रों में माना गया है यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है तो उसे बल देने के लिए रत्न को धारण करना होता है। सभी 9 ग्रहों का किसी न किसी रत्न से विशेष संबंध होता है। आज हम आपको ऐसे ही एक रत्न के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रभाव बहुत जल्द देखने को मिलता है। इस रत्न का नाम है नीलम।

नीलम रत्न को लेकर कहा जाता है अगर जिस किसी को यह रत्न सूट करने लगता है तो इसका असर मात्र 48 घंटों में देखने को मिलने लगता है। लेकिन वहीं जिन जातकों पर यह रत्न कारगर नहीं होता है उन्हें इसका बुरा परिणाम फौरन ही देखने को मिलने लगता है। इसलिए नीलम रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह अवश्य लेना चाहिए क्योंकि नीलम रत्न धारण करना या न करना यह सभी आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है।

वैदिक ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक शनि ग्रह का संबंध नीलम रत्न से होता है। यह नीले रंग का होता है। जिस प्रकार किसी जातक की कुंडली में अगर शनि शुभ भाव में होते है वे उस व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के सुख, सुविधा और ऐशोआराम को भर देते हैं। जब भी नीलम रत्न धारण करें तो इस बात का ध्यान रखें कि नीलम हमेशा उत्तम क्वालिटी का होना चाहिए।  

इस प्रकार की जाती है नीलम की पहचान
बाजार में असली और नकली दोनों तरह के नीलम देखने को मिलते हैं ऐसे में असली नीलम की पहचान करना मुश्किल काम होता है। असली नीलम रत्न की पहचान गहरे नीले रंग, पारदर्शी, छुने में मुलायम और इसके अंदर देखने पर इसमें किरणें निकलती हुए प्रतीत होती है। असली नीलम की पहचान करने के लिए एक तरीका बहुत ही कारगर माना जाता है। अगर नीलम असली है तो इसे दूध की कटोरी में थोड़ी देर तक रखने पर दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। वहीं अगर नीलम रत्न को पानी के गिलास में डालने पर पानी से किरणें दिखाई दें तो यह असली नीलम की पहचान होती है। असली नीलम में दो परत एक-दूसरे के सामान्तर दिखाई पड़ती है।

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नीलम रत्न को कब करना चाहिए धारण
जब किसी की कुंडली में शनि की महादशा विपरीत होती है तब नीलम रत्न पहना जा सकता है। मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों पर नीलम रत्न का अच्छा और शुभ प्रभाव रहता है। वहीं जातक की कुंडली में अगर शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम रत्न धारण करने पर बहुत लाभ मिलता है। इसके अलावा जब शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठें हो तो नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं इस बात का ध्यान रहे जब कुंडली में शनि अशुभ हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए।  

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